आज़मा के देख
भूखे को भरपेट खिलाना, काम है सबाब का
तृप्त हो उठती आत्मा कैसे, आज़मा के देख।
दीन-दुखियों की सेवा में मिलता जेहनी सकूं
दिल से निकली दुआओं का, असर होता देख।
नीच हैं वो जो समझते, नारी को जूती पाँव की
देवियाँ हैं, सर आँखों पे बिठा के एक बार देख।
बेटियां बेटों से, किसी मायने में कमतर नहीं,
बस एक बार विश्वास उन पर, ला के तो देख।
कन्या-भ्रूण हत्या जैसा पाप कर्म दूसरा नही
बेटियों की परवरिश, बेटों की भांति कर के देख।
चोटें सहन हो जातीं पर होती नही अहम पे चोट
चोट ऐसी खाये इंसान के दिल को टटोल के देख।
युद्ध हो सकता नही, किसी भी मसले का हल,
बातचीत से रास्ता निकलता, पहल कर के देख।
बुराई को बुराई से, खत्म नही कर सकते कभी,
अच्छाई से ही मिटती, कोशिश तो कर के देख।
क्रोध का मुकाबला, मुनासिब नही करना क्रोध से
बैठ जाता जल्दी उबाल, शांति से पेश आ के देख।
बूढ़े माँ-बाप को इतना ना, तड़पाओ, तरसाओ ,
सेवा में जो मेवा है, श्रवण कुमार बन चख़ के देख।
दूसरों में ही दोष ढूंढने की आदत से तू बाज़ आ
गिरेबां में एक बार अपने भी, झांक के तो देख।
सुनी-सुनाई बातों पे, ठीक नही करना यकीं
सिक्के के दूसरे पहलू को ,ले तो एक बार देख।
हराम की कमाइयों से पूरी कभी पड़ेगी ही नही
हलाल की कमाई में है बरकत, आज़मा के देख।
मोह माया में फंस, भ्रम के जालों में गया उलझ
ईश्वर ही करेगा बेड़ा पार, लौ उस से लगा के देख।