मादरे वतन
वतन हमारा हमें जान से प्यारा
कुदरत ने इसे खूब सजाया संवारा
हिमालय इसके सिर पर सुशोभित
सागर ने इसके चरणों को पखारा
वतन हमारा सारे संसार से न्यारा।
विभिन्न धर्मों के लोग यहां बस्ते
मिल जुल कर शान्ति से सब रहते
दूसरों की सुनते अपनी भी कहते
रहन सहन अलग खान पान अलग
दुश्मन को मिल देते जवाब करारा।
हम हमेशा अपनी ही सरहद में रहते
सरहद की रक्षा जान देकर भी करते
शत्रु के षड्यंत्रों को विफल करते रहते
खुल कर सामना करने से वो हैं डरते
शांति प्रिय हम पंचशील सिद्धांत हमारा।
देवी देवताओं की पावन मनभावन भूमि
साधु संत महात्मा रमाये रहते यहाँ धूनी
खूब निभाते मरते दम तक रिश्ते खूनी
हुए पैदा यहाँ कई ज्ञानी ध्यानी ऋषि मुनि
विश्वगुरु बने वतन यही है सपना हमारा ॥