क्यों आए दुनिया में

आए इस दुनिया में क्या यही सब करने
जी जिंदगी को जैसे तैसे, और फिर मरने।
सोच सोच कर दिमाग भन्ना सा जाता है
ढूंढें से भी माकूल जवाब मिल न पाता है।

किस मकसद से आये, कोई जानता नही
पूरा हो पाया मकसद, पता किसी को नही।
क्या खोया, क्या लिया पा संसार में आकर
हिसाब इसका तो कभी कोई, लगाता नही।

इंसान इस दुनिया में खाली हाथ ही आता
शायद मुक्क़दर ही वो, अपने साथ है लाता
कोई खास तो कोई बहुत ही ख़ास कर जाता
कोई मेरी तरह बस, टाइम पास कर जाता।

नहीं किया कुछ ख़ास, बतलाऊँ मैं जिस को
किया जो मैंने वो तो हर कोई ही कर जाता।
बेशक कितनी भी दौलत इकट्ठा कर ले इंसां
सब कमाया धमाया यहीं छोड़ करके जाता।

कुछ कर न पाया हूँ खास, रहेगा मलाल मुझे
आता जब जब ये ख्याल, दिल बुझ सा जाता।
क्यों आया दुनिया में, किया क्या आख़िर मैंने
सवाल ज़हन में जब तब ये मेरे, उठ ही जाता।

न तो चाहा बुरा किसी का न कभी किया ही है
इस बात से दिल को सकूं, जरूर है मिल जाता।