पछताने से क्या मिलेगा
बीता वक़्त भला लौटा है, कब
पछताने से क्या मिलेगा, अब।
जिसने जो तेरे साथ हो किया
माफ़ दे कर भुला दे वो, सब।
यही कुछ था भाग्य में लिखा
दिल को यूँ समझा ले, अब।
कहते हो, नही समझा तुमको
तुम भी तो उसे समझे, कब।
कुछ भी हो सकता होगा वो पर
हो नही सकता कभी भी, रब।
जिस हाल में भी हूँ, मज़े में हूँ
जख्म हरे कोई कर दे न, अब।
यादें क्यों आ जाती हैं सपने में
रिश्ता कोई उससे रहा न, अब।
साथ शायद था, यहीं तक लिखा
मिलेंगे अगले जन्म में जा, अब।
कहा सुना माफ़ कर देना भाइयों
न जाने कब मिल पाना हो, अब।
इतना भी दुःखी क्यों रहता ‘शर्मा’
ऐसा तो अक्सर होने लगा है, अब।