तो ही बेहतर

दिमाग अपने पे करे भरोसा हमेशा, तो ही बेहतर
करें न सुनी सुनाई बातों पे ऐतबार, तो ही बेहतर।

आधुनिकता की चकाचौंध में संस्कार न जाएँ भूल
आँखों में रहे शर्मों-हया बरकरार, तो ही बेहतर।

माथे पे हो न शिकन, दिल में रखें न कोई जलन
मिलने का करे मन, हों रिश्ते ऐसे, तो ही बेहतर।

रखें सदा होठों पे सच्चाई, जुबाँ पे रखें लगाम लगाई
गर्दन रखें फंदों से बचाई जिएँ ऐसे, तो ही बेहतर।

करें न कभी लगाई बुझाई, झगड़ों की ये जन्मदाई
सुन एक कान से दूसरे से दें निकाल, तो ही बेहतर।

चेहरे पे रहे सदा खुशी छाई, करें न किसी की बुराई
प्यार से पेश आएँ सभी से, जिएँ यूँ, तो ही बेहतर।

खुद को काबिल बनाएँ बोझ परिवार का खुद उठाएँ
अपने ही दम ख़म पे गृहस्थी चलाएँ, तो ही बेहतर।

दब के जीना, मर मर जीना, ये जीना भी क्या जीना
जियें हमेशा तान के सीना, हो सोच ये, तो ही बेहतर।

कोई भूखे पेट नंगे बदन न हो, सर पे सबके छत हो
हो मुहैया ये गरीबों को, विकास हो यूँ, तो ही बेहतर।

काम छोटा बड़ा नहीं होता, वो है बड़ा जो कमा खाता
सीखते सिखाते रहें एक दूजे को हुनर, तो ही बेहतर।

काम से ही अपना काम रखें, दुआ-सलाम जरूर रखें
फटे दूसरों के में टांग अपनी न अड़ाएँ, तो ही बेहतर।

कब तक दूसरों के सहारे, खिंच सकती ये घर गृहस्थी
पाँव अपने पर ही खड़ा होकर दिखाएँ, तो ही बेहतर।

ऐसा तो हो ही नही सकता, कमियाँ खुद में हों ही ना
गिरेहबाँ में अपने जब तब गर लें झाँक, तो ही बेहतर।

जो रहे ज़ी उससे बेहतर ही सब जीना चाहते जिंदगी
मौज मस्ती की चाह में न जाएँ फिसल, तो ही बेहतर।

सुन लो सबकी पर करो वही, जिसकी दिल गवाही दे
आवाज़ अपनी अंतरआत्मा की लें सुन, तो ही बेहतर।

कुदरत ने दिये सब अंग जीने को एक बेहतर जिंदगी
जाएं जो गर समझ औचित्य इन सबका, तो ही बेहतर।