दोस्त

मुझे दोस्त चाहिए ऐसा
शायद बिल्कुल मेरे जैसा।

जहन में खूब शरारत हो
जरुरत जितनी जहानत हो
लहजे में बनावट कतई नहीं
दिमाग में दिल की आहट हो
और साथ दे हमेशा।

फितरत में कुछ नादानी हो
गलतियां महज़ बेमानी हो
हो बेवकूफ़ सी नोंक झोंक
बदमाशी जरा रुमानी हो
है कोई नजर में वैसा।

टांगें खींचे थामे लगाम
गिरने से पहले ले जो थाम
आंखों से समझे जो हालात
अपनी कह दे बातें तमाम
रहे कोई तकल्लुफ़ कैसा!

होठों पे ठहाकों की शबनम
वो साथ रहे फिर कैसा ग़म
कभी उम्र का बोझ न हावी हो
बेफिक्री का हरदम आलम
बाधा न बने रुपया पैसा।

मैं सुर होऊं बन जाए साज
मेरे शब्दों की हो आवाज
धड़कनों की लय पहचाने जो
बिन कहे जान ले दिल का ‘राज’
समझे मुझको रेशा रेशा।