ग़मों ने मुझको निखारा है

बहुत ग़म दिए हैं उस ख़ुदा ने मुझे
उन्हीं ग़मों ने मुझको निखारा है

टूटकर मैं गिरा और सम्हल भी गया
मेरी गलतियों ने मुझको संवारा है

हर किसी से मिली मुझको सिर्फ बेरुखी
लेकिन इस कलम ने मुझको दुलारा है

सोचता हूँ कहूँ कुछ अलग आज मैं
क्योंकि यह दिन आज का बहुत प्यारा है।