ग़मों ने मुझको निखारा है श्रीयांश गुप्ता बहुत ग़म दिए हैं उस ख़ुदा ने मुझेउन्हीं ग़मों ने मुझको निखारा हैटूटकर मैं गिरा और सम्हल भी गयामेरी गलतियों ने मुझको संवारा हैहर किसी से मिली मुझको सिर्फ बेरुखी लेकिन इस कलम ने मुझको दुलारा हैसोचता हूँ कहूँ कुछ अलग आज मैंक्योंकि यह दिन आज का बहुत प्यारा है।