तिरंगा

ये वतन के बांकुरे हैं, हर दिल में जिंदा रहते;
सरहद पर कुर्बान हुए, निशां तिरंगे में रहते।

कितनों ने जां गंवाई, प्राण तज दिए हंसकर,
तीन रंग ना झुक पाए, दुश्मन से गुस्सा रहते।

इसे चूमने को आए, चंदन के संग समीरण,
महका है सारा गुलशन, समां खुशियों के बंधते।

रहे हमेशा सर ऊँचा, जब तक जान है बाकी,
सदा रहे हिंद सलामत, चांद तारे दुआ करते।

गाथाएं मिल कर लिख दें, बहें सदाएं अंबर तक,
आन बान सम्मान सदा, नमन तिरंगे को करते।

राम कृष्ण की जन्मभूमि है, लहू वीर का रचा-पगा,
इक-इक से कड़ी जोड़कर, अंबर पर भारत लिखते।

घनश्याम कलश अमृत का, रिमझिम सी बूंदे लाए,
बिजलियाँ जयघोष करती, ‘श्री’ घन से मुक्ता झड़ते।