संविधान
संविधान कानून अंग है,
विधि शास्त्र भी कहलाए।
छब्बीस जनवरी हर्षित दिन,
दिवस गणतंत्र बन जाए।
वर्ष दो ग्यारह माह गुजरे,
अठारह दिन का वक़्त गया।
देश-विदेश मिली प्रशंसा,
संविधान उत्तम रच दिया।
देश-देश स्वाध्याय किया,
ग्रहण शोभन भाव किए।
सृजित किया सरकारी तंत्र,
सर्व धर्म हित संभाव लिए।
कर्तव्यों का निर्धारण कर के,
धर्म सभी के दूर रहे।
समानता के अधिकार मिले,
भेदभाव सब दूर रहे।
अठारह वर्ष के बालिग बन,
मतदान कर आगे बढ़ो।
शिक्षा का अधिकार सभी को,
पग-पग उन्नति राह चढ़ो।
स्त्री-पुरुष का भेद मिटा कर,
सम वेतन सम काम मिले।
पिता की विरासत बेटी को,
दायभाग अधिकार मिले।
बेटी को सम्मान ‘श्री’ शिक्षा,
निशुल्क पढ़ाई पढ़ जाए।
नई नई योजनाएँ पाकर,
सुख मय जीवन जी जाए।