काशी कल्पना तिवारी 'दिव्या' हे शशिधर शंकर, संग भूत भयंकर,तन भभूती रमाए, कैलाश के निवासी।गले नरमुंड माला, कंठ सर्प सोहे काला,वरदान लेने भक्त, आएगे आज काशी।भांग औ धतूरे ले के, बेलपत्र दूध लेके,दर्शन करेंगे सब, सहृदय हुलासी।मां गौरी गणेश संग, जटा बीच सोहे गंग,भोलेनाथ दूर करो, हृदय से उदासी।