काशी

हे शशिधर शंकर, संग भूत भयंकर,
तन भभूती रमाए, कैलाश के निवासी।

गले नरमुंड माला, कंठ सर्प सोहे काला,
वरदान लेने भक्त, आएगे आज काशी।

भांग औ धतूरे ले के, बेलपत्र दूध लेके,
दर्शन करेंगे सब, सहृदय हुलासी।

मां गौरी गणेश संग, जटा बीच सोहे गंग,
भोलेनाथ दूर करो, हृदय से उदासी।