बात तुमसे शुरू बात तुमसे खत्म

बात तुमसे शुरू, बात तुमसे खत्म।
अब तो तेरी अदाओं से लगता है डर॥

देखता हूँ तुझे तो है लगता मुझे।
मैं तो तेरे ख्यालों में खो जाऊँगा॥

साथ हो चाहे जैसा भी आलम हँसी।
मैं तो किस्से तेरे मन के ही सदा गाऊंगा॥

रंज है रोग है मन में उत्पात हैं।
दिल में मेरे हजारों ही जज़्बात हैं॥

मन मेरा है अकिंचन ये भोला बहुत।
खुद की बातों में ही ये उलझ जायेगा॥

सामने हो खड़ा चाहे कोई भी हसीं।
ये उससे तनिक भी ना शरमायेगा॥

मानता हूँ मैं खुद से तुझे माँगता।
साथ तेरा सदा ही सनम माँगता॥

मैं अकेला ही खुद से संभलता रहा।
लेखनी में इक जादू सा पलता रहा॥

कल को कोई अगर मुझको भूले सनम।
याद करता रहे लेखनी को सनम॥

ये है ऐसी अनोखी जो चल ही जायेगी।
साथ अपने हमेशा ही सदा लायेगी॥