मिली हैं ख्वाहिशें तुझसे

मिलीं हैं ख्वाहिशें तुझसे।
तेरी ही इक अमानत हैं॥
तेरे किस्सों में शामिल हैं।
तेरे नगमों में शामिल हैं॥

तू चाहे दूर हो कितना।
सफर मुश्किल ही हो कितना॥
मगर फिर भी सनम हम तो।
तेरे बस तेरे ही दीवाने हैं॥

मुझे चिंता नहीं अपनी।
मैं तेरी फिक्र करता हूँ॥
ये चाहत है भला कैसी।
जो तेरा ही जिक्र करता हूँ॥

ना मैं खुद से ही डरता हूँ।
ना मैं तुमसे ही डरता हूँ॥
जिंदगी में सदा हरदम।
तेरा ही सजदा मैं करता हूँ॥

नहीं हूँ मान का हारा।
ना मोहब्बत का मैं मारा हूँ॥
समुन्दर में है जो गहराई।
मैं उसका इक किनारा हूँ॥

मैं तेरा भी सहारा हूँ।
मैं खुद का भी सहारा हूँ॥
मिलीं हैं मंजिलें मुझको।
मैं उसका इक किनारा हूँ॥