कुछ अंजू 'सुंदर' कुछ पत्रजो लिखे नहींतुमको कभीप्रेषित करने हैंसिर्फ समीप होने पर।कुछ भावजो मन ने रचे नहींअब तकपहुंचाने हैं तुमकोफिर सन्निकट होने पर।कुछ सपनेजो देखें हैं अकेले हीतुमने और मैंनेसाझा करने हैंआपस मेंफिर मुलाकात होने पर।