वो लड़कियां अंजू 'सुंदर' गोल रोटी के साथसेंक देती हैं तवे परअपने सुनहरे कल के सपने।किताबों को रखदराजों मेंसजाया करतीं हैंघर की अलमारियां।बुलंदी पाने कीचाहत में पलींअब झाड़ू सेनापने लगीं हैंछतों की जालियां।देखता नहीं कोईपूछता नहीं कोईछटपटाहट में काट लेतींजब सब्जियों संग उंगलियां।