मै अकेला शालिनी अग्रवाल मै अकेला, मै अकेलासाथ मेरे ग़म का मेलादंभ मुझमें अपार थाजीवन का न सार थामै अकेला, मै अकेलासाथ मेरे ग़म का मेला।मजबूर को मजबूर कियास्नेह किसी ने न दियासबने रिश्ता तोड़ दियामुझे अकेला छोड़ दिया।मै अकेला, मै अकेलासाथ मेरे ग़म का मेला।आज जमाना हँस रहाकोई न अपना दिख रहाखुद से खुद ही लड़ रहाशर्म से सिर है झुक रहा।मै अकेला, मै अकेलासाथ मेरे ग़म का मेला।