एहसास धीरज साहू 'मानसी' खुद के सामने से आइने हटाते है लोग,दूसरों पे अक्सर उंगली उठाते है लोग।अपने गुनाह याद कभी तो करते नहीं,मसीह को ही सूली पर चढ़ाते है लोग।जहां की तो फितरत ही कुछ ऐसी है,अपने आप को, पाक बताते है लोग।हाथ बढ़ा कर किसी को थामा नहीं,चलते हुए को लेकिन, गिराते है लोग।अपने किरदार को साफ रख, मानसी,अच्छे या बुरे तो आते जाते है लोग।