फ़रमान

टूटे दिल में, बिखरा हुआ, अरमान था,
हम रहे तन्हा, ये हिज्र का फरमान था।

रफ्ता रफ्ता चल रही थी सांसे,
रूह थी मजरूह, जिस्म भी बेज़ान था।

हर लम्हा फक्त यादों का बसेरा,
दिन का पता, न रात का भी ध्यान था।

तसव्वुर में आ जाना चुपके चुपके,
तन्हाई में उनका, ये बड़ा एहसान था।

उनके बग़ैर भी चल रही है सांसे,
हाय, लम्हा दर लम्हा बेहद हैरान था।

तमाम कोशिशें तो करके देखी है,
उफ्फ, उन्हें भूलाना कहां आसान था।