एहसास देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' क्या मालूम था मीलों तकयूँ पसरा सन्नाटा होगा,मेरे दिल से तेरे दिल तककुछ तो आता जाता होगा।मुड़कर मेरी ओर न देखाउसने दूर जाने के बाद,मुमकिन हैं वहां कोईउसका साथ निभाता होगा।घुटनों के बल झुक कर जबकुछ बच्चों से बातें की,तब जाना कि तेरे दर पेक्यों वह शीश झुकाता होगा।माना कि उस ताकतवर कीजिद के आगे सब बेबस हैं,पर कोई तो डर होगाजो उसको धमकाता होगा।आओ मिलकर रहने कीफिर एक कोशिश कर लेते हैं,मेरी तरह तेरा दिल भीतुमको यह समझाता होगा।