सपना-अपना अमर नाथ सिंह ‘मोही’ सपना तो सपना होता हैसपना कब अपना होता है,टूटे जाने कितने सपनेसपना टूटे, गम होता है ।टूटे सपना , आँख न हो नमक्या गम, इतना कम होता है,असली खुशियाँ तब मिलती हैंनिज सपना, जब सच होता है ।सारी उम्र कसकता रहताअपना, जब सपना होता है,अपना, अपना कर्म है, “सागर”बाकी सब सपना होता है ।