चलो चलें मैया की ओर
चलो चलें हम उन गलियों में।
जिन गलियों में माँ रहती है॥
मिलता है हर इक वर उनसे।
वो सबकी ही झोली भरती है॥
जब भी जाता हूँ मैं माँ के दर पर।
इक सुकून सा दिल को मिलता है॥
मेरे दिल की गलियों में बस।
माँ का ही प्रेम झलकता है॥
बिन माँ के सब है सूना।
सारी दुनियाँ शून्य ही है॥
जिसके आँचल में आकर इंसा।
हर कष्टों से मुक्त हो जाता है॥
जो देती है धन धान्य हमें।
हमें सदा सलामत रखती है॥
क्यों ना उसके चरणों में हम।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर दें॥
जिससे मिला है हमको जीवन।
नाम उसी के हम कर दें॥
जिस जगह है होता माँ का मन्दिर।
वो जगह निराली होती है॥
जाकर के वहाँ पर शांति मिले।
मन को एक अटल विश्वास मिले॥
मिलता है सच्चा सुख सबको।
वो सबके दुखड़े हरती लेती है॥
कभी ना कहती कुछ भी वो हमसे।
हमें दिल से ही लगा कर रखती है॥
कभी जो आये कोई भी खतरा।
वो जगदम्बा भी बन जाती है॥
लेकर के यह रूप अनोखा।
सारे जग को सदा बचाती है॥