मुझे तुम याद आते हो

बजाकर प्रेम की वंशी।
मुझे क्यों छोड़ जाते हो॥
मुझे कुछ ना पता जग में।
कि जग में कैसा मंज़र है॥

मेरी आँखों के मोती को।
तुम पल में बिखेर जाते हो॥
बनाकर प्रीत का जोगी।
मुझे तन्हा अकेले छोड़ जाते हो॥

नहीँ है वास्ता कोई।
जो इतने कठोर बन बैठे॥
मेरे नयनों से अविरत जो बहे।
वो अश्क यही पूछे॥

छिपाकर उनसे तुम मुखड़ा।
यूँ तन्हा दौड़े जाते हो॥
मेरे हरदम ख्यालों में।
तेरी ही यादें रहती है॥

उन्हीं से तोड़कर रिश्ता।
क्यों तुम यूँ दौड़े जाते हो॥
मुझे कितना सताते हो।
मुझे कितना रूलाते हो॥

क्यों तुम मजबूर हो इतने।
कि ना कुछ भी बताते हो॥
सदा रहते हो तुम खामोश।
कि दिल का हाल छिपाते हो॥

मुझे तुम याद आते हो।
मुझे तुम याद आते हो॥
मैं वादे से ये कहता हूँ।
जो होते हो कभी तन्हा॥

मुझे ही याद करते हो।
मुझे ही याद करते हो॥

ना आये कोई भी मुश्किल।
यही फरियाद करते हो॥
मुझे तुम याद करते हो।
मुझे तुम याद आते हो॥