सम्मान कभी गिरने ना दो
बात चाहे जो भी हो जग में
सम्मान कभी भी गिरने ना दो
अड़े रहो तुम संघर्षों के आगे
हिम्मत को कभी डिगने ना दो।
कोई नहीँ पाता इक पल में
अपनी मन चाही मंजिल को
लगे रहो तुम सदा प्रयत्नों में
साहस को कभी डिगने ना दो।
आज नहीँ तो कल को यारा
तुम मंजिल को पा ही जाओगे
लेकिन मंजिल को पाते ही तुम
स्वंय खुदी में बदलाव ना दो।
जुड़ा जो होता जमीं से इंसा
वो इक ना इक दिन ऊपर जाता है
देख के उसके बुलंद हौसले
आसमां भी झट से झुक जाता है
सब देते है उसको विजय बधाई
वो जग में इक सीख नई धर जाता है।
माना हमनें कि इस दुनियाँ में
कुछ तुम पर ही प्रश्न उठायेंगे
लेकिन उन प्रश्नों का देकर उत्तर
तुम इक इतिहास नया ही गढ़ देना
जो रहते हैं सदा अंधे नफ़रत में
तुम उनको भी प्रेम सदा ही देना।