जीवन

जीवन के इस मोड़ पे ख़ुद हम
आए नहीं हैं लाये गए हैं
तेरी कसम सच रोये नहीं हैं
वक़्त के मारे रुलाये गए हैं।


राह में दीप लिए जलते
हम अपनी राह भुलाये गए हैं।
भूल गए सब नाम हमारा
कि नाम से तेरे बुलाये गए हैं।


कहते कहते सब कह डाले
झूठ को सच कहना नहीं आया
रोज रहे तनहाई में पर
तेरे बिना रहना नहीं आया।


पीर सहे नहीं नीर बहे
जब नीर बहे सहना नहीं आया
बह तो गए लिए प्रेम शिखा
पर डूब गए बहना नहीं आया।


घर में रहे तो रहे लेकिन
दिल में स्थान बना नहीं पाये
बात कहे तो कहे लेकिन
हम प्रेम प्रबंध पढ़ा नहीं पाये। 


यूँ तो संभाल लिए सबको
इक बोझ तुम्हारा उठा नहीं पाये।
क्या थी वजह क्या मजबूरी थी
चाह के भी समझा नही पाए।