मोहब्बत

संभल संभल के चलना ए दिल
मोहब्बत तेरे इंतज़ार मे है।
गुलशन की साज़िश समझना ए दिल
वो फूलों मे बिखरी बहार मे है।

धूप को चाँदनी कह दिल को जलाए
मोहब्बत को अपना खुदा वो बनाए।
जमाने ने उनको दिये इतने ग़म हैं
जो खुशियां भी आए तो पास न जाए।
दीवानों के जैसे न रहना ए दिल
मोहब्बत उनके ईमान मे है।

हर किसी को मोहब्बत का ग़म चाहिए
एक पल भी किसी से न कम चाहिए।
हसरतों का कमल खिले न खिले
चाहतों का महकता चमन चाहिए।
मोहब्बत के ग़म न सहना ए दिल
खुशी की हर एक फुहार मे है।

यूँ तो मोहब्बत से हंसी,कोई नेमत नहीं जहां मे
फिर भी जमाने मे प्यार वालों की रुसवाई है।
नफ़रतों के बीच प्यार का अंकुर जो कोई फूटे
बहार से पहले उस पर खिज़ा रंग लाई है।
मोहब्बत की बातें न करना ए दिल
गमों की सिसकती पनाह मे है ।