इंतज़ार देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' दिल तड़पता है मेरा प्यार के लिएकिसी की हसरत भरी नज़रों के दीदार के लिएऐसे तन्हा यूँ कब तक जिऊंगा मैकोई अपना तो हो इंतज़ार के लिएतुम आओगे एक दिन ऐतबार है मुझेऔर बात भी क्या है जो इस जहाँ में जी रहे हैंहैरां न हो ए जिंदगी यूँ तनहा देख करग़मो ने हाथ पकड़ा है जो आज पी रहे हैं।ख़ुशी की तलाश में ज़िन्दगी गुजर गईख्वाबों की तासीर आँखों से खो गईजीने का सलीका सिखाया था जिसने कभीवो शबनम भी आज अंगारों की सेज़ हो गई।