तन्हाइयाँ देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' खुद के होने का एहसास दिलाती हैं तन्हाइयाँ ,यूँ ही नही किसी को मिल जाती है तन्हाइयाँ।अपनो से कहाँ दूर जाता है आदमी,फ़कत अपनो की याद दिलाती है तन्हाइयाँ।ये जिंदगी के रस्मों रिवाजों की सड़क है,यहां बहुत दूर तक साथ निभाती है तन्हाइयाँ।कभी तन्हाई में सुकून तो कभी सुकून में तन्हाई हैदोनों तरह के किरदार निभाती हैं तन्हाइयाँ।