हार जाएगा

देखते ही देखते गुजर गई जिंदगानी
अब अधूरी ख्वाहिशों से कैसे पार पायेगा।

अपने ह्रदय में ही जगह नही मिली तुझे
अब किस घर का द्वार खटखटाएगा।

जो था जरुरी तू उसे ही टालता रहा
बाकी सब किया धरा बेकार जायेगा।

सबके के सम्मुख रहा खुद से विमुख रहा
जीत कर भी आखिर में सब हार जायेगा।