जब ग़म के बादल मंडराए नैना सावन से भर आये तब पीड़ा का बीज बनाकर एक उपवन में बो देता हूँ और फिर थोड़ा रो लेता हूँ ग़म का बादल छंट जाता है बोझ हृदय का घट जाता है। अश्रुधार का अध्यारोपण पीड़ा का यह पुष्प निरूपण ग़म के काँटों का आश्रय ले खुशबू के संग खिल जाता है। मन बिछड़े आनंदों से नित हंसकर जैसे मिल जाता है।