स्वप्न पटल पर तुम आते हो रोम रोम मन हर्षाते हो। भावों की निर्झर सरिता में पुष्प कुमुद सा खिल जाते हो। किन्तु हृदय में चिरानंद हो गीत मधुर कब गाओगे। जीवन मे कब आओगे।
पतझड़ बीता बसंत आया धरा प्रफुल्लित नभ हर्षाया। चहुंदिश नवउल्लास उमंगे ऋतु ने गीत मिलन का गाया मधुर मिलन की आस न हो फिर ऐसे कब मिल पाओगे जीवन मे कब आओगे।
दुख का वैभव आता है अश्रु पीर का गाता है। तन विरह की अग्नि में निशदिन झुलसा जाता है दुख की परिणति सुख हो वह उपक्रम कब कर जाओगे जीवन मे कब आओगे।
तप है कठिन प्रतीक्षा तेरी अब न हो तनिक भी देरी। जीवन के दिन गिनती के हैं मुमकिन नही हैं हेरा फेरी। एक एक दिन मधुमय हो जाये वे दिन कब दिखलाओगे जीवन मे कब आओगे।