जिंदगी देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' लाख आये तबाही के मंजर यहांविघ्न व्याधि उदासी के खंजर यहां।टूटता ही नही सिलसिला जिन्दगीहै बड़ा जीने का हौसला जिंदगी।मौत सिरहाने पे मुस्कुराती खड़ीहाथ में जिंदगी तेरी है हथकड़ी।मुश्किलों के कहर से समर ठान लूंइतना आसां नही हार मैं मान लूं।नित संघर्ष ही है कहानी मेरीहूं मैं इंसा यही है निशानी मेरी।नई सुबह नई रोशनी आएगीये विपत्ति भी एक रोज टल जाएगी।साथ हूँ मैं तेरे हर कदम हर जनमहोगी ऐसे नही ये कहानी खतम।अश्रु मोती बने हैं तुम्हारे लिएभूल जाओ न जो हमने वादे किए।तेरी गलियों में आता जाता रहूंगाजिंदगी मैं तुझे गुनगुनाता रहूंगा।