मुस्कुराहटें प्रिय हैं मुझे और उससे भी अधिक प्रिय है मुस्कुराते हुए लोग। जब भी ढूंढ़ने निकलता हूँ अपनी मुस्कुराहट का स्रोत तो कुछ मिलता नही है मिलती हैं तो कुछ मुस्कुराहटें कुछ अपने भीतर, कुछ स्मृतियों में कुछ प्रकृति में, तो कुछ सम्मुख प्रतिपल प्रतिक्षण जीवन में प्राण की तरह।