तुम साथ थे तो संभल गया देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' मेरा वहां होना उसे खल गयावो बिना आग के ही जल गयामैं तो वैसा ही रहा जैसा थाये तो वक़्त है जो बदल गयाठोकरें बहुत थी अँधेरा भी थातुम साथ थे इसलिए संभल गयाजलवाफरोश है वो शख़्स आज भीदेखा उसे और दिल मचल गयावादों के आसमान में तारे हजार हैंजो निभा सके वो सूरज ढल गयाशहर में चर्चा है एक खास चोट काआइना तोड़कर पत्थर पिघल गयामहफूज है जहन में तू विनीत केदेख तेरी याद में आंसू निकल गया।