इत्तेफाक़ देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' ना जाने क्यों हैपर है बेवजह अनायासतेरी इक तस्वीर मेरे पासजबकि मैं और तुमकभी मिले नही हैं!ये इत्तेफाक़ हैया कुदरत की कोई चाल हैजो मिट्टी हवा आब खुशबूधूप चाँद रात हैपर गुल मुहब्बत के अभी तकखिले नहीं है।