तेरा मेरा प्रेम
तेरा मेरा मेल है ऐसा जैसे सिक्के के दो पहलू
बिन पानी मछली नही, मैं तुम बिन कैसे रह लूं
प्रकाश के बिन सूरज नही, बिन सूरज न प्रकाश
तुझ में मैं मुझमें तू,जैसे चंदन में बास
तुम हो निर्मल जल की धारा, मैं हूं इसकी प्यास
इस जीवन में तुमको पाया, धन्य है मेरे भाग।
तेरा मेरा मेल है ऐसा, जैसे सिक्के के दो पहलू
बिन पानी के मछली नही, मैं तुम बिन कैसे रह लूं।
दिन में तुम सूरज मेरे और सूरजमुखी हूँ मैं
रात में तुम चंदा मेरे और चकोर तेरा हूँ मैं
तकता हूँ मैं तुमको प्रभु, नही थके यह नैन
जब तक तुमको पा नही लेता ना आए मुझको चैन
तेरा मेरा मेल है ऐसा जैसे सिक्के के दो पहलू
बिन पानी मछली नही मैं तुम बिन कैसे रह लूं।
मैं पत्थर और तुम चिंगारी, ऐसी तेरी मेरी यारी
जब तुमको मैं स्पर्श करूं तो बन जाए अंगारी
मैं फूल और तुम सुगंध महक रहे तन मन में
मैं मोर और तुम हो उपवन नाचूँ हर पल हर क्षण में।
तेरा मेरा मेल है ऐसा जैसे सिक्के के दो पहलू
बिन पानी मछली नहीं, मैं तुम बिन कैसे रह लूं।
बिना ईट पत्थर रेता के बना है मंदिर तेरा
बिना बजाए हर साज है बजता मन हर्षाए मेरा
प्रेम का धागा भाव के मोती और श्रद्धा का हार चढ़ाऊँ
जब मिलन हो मेरा तेरा स्वामी तब निर्मल मैं हो जाऊँ
तेरा मेरा मेल है ऐसा जैसे सिक्के के दो पहलू
बिन पानी मछली नही मैं तुम बिन कैसे रह लूं।