कर्तव्य को भूल जाते हैं

मानव को मानव से प्यार नहीं, अपनों को वह छोड़ जाते हैं;
जब आया कर्तव्य निभाने का, कर्तव्य से पीछे वह हट जाते हैं।

कभी प्रेम था पत्नी से तुमको,
बिन उसके नहीं रह पाते थे।
कभी प्रेम पिया से था तुमको
रास्ते में नयन बिछाते थे।
क्या हुए ग्रस्त महामारी से,
वह साथी साथ छोड़ जाते हैं।
एक दूजे से जो किए वादे थे
वह भी फीके पड़ जाते हैं।

मानव को मानव से प्यार नहीं,अपने को वह छोड़ जाते हैं;
जब आया कर्तव्य निभाने का,कर्तव्य से पीछे वह हट जाते हैं।

उपकार है उन माँ-बाप का,
जो बच्चों पर जान छिड़कते हैं।
खुद भूखे वह रह जाते हैं,
बच्चों का पेट वह भरते हैं।
क्या हुए ग्रस्त महामारी से,
माँ बाप को अकेला छोड़ जाते हैं।
मृत्यु हो जाए अगर उनकी
वह गैरों के कंधों पर जाते हैं।

मानव को मानव से प्यार नहीं,अपने को वह छोड़ जाते हैं;
जब आया कर्तव्य निभाने का,कर्तव्य से पीछे वह हट जाते हैं।

माना बीमारी से नफरत है,
पर मानव से तो प्यार करो।
सावधानी बरतो तुम मगर,
अपनों से तो प्यार करो।
बीमारी ने पकड़ा है अपने को,
ना छोड़ना तू मानवता को।
मत छोड़ राह में अकेला उसे
लेकर चल उपचार कराने को।

मानव को मानव से प्यार नहीं,अपने को वह छोड़ जाते हैं;
जब आया कर्तव्य निभाने का,कर्तव्य से पीछे वह हट जाते हैं।

जब पढ़ता हूँ अखबार जो मैं,
सामने ऐसी बातें आती हैं !
पढ़ पढ़ कर इन बातों को,
आँखें मेरी भर आती हैं।
मानव होकर वह मानव से,
प्यार नहीं वह करता है।
‘धर्मवीर’ क्या जग में हो रहा
कर्तव्य मार्ग से पीछे हट जाते हैं।

मानव को मानव से प्यार नहीं,अपने को वह छोड़ जाते हैं;
जब आया कर्तव्य निभाने का,कर्तव्य से पीछे वह हट जाते हैं।