निराला रंग सतगुरु का

जगत में रंग अनेकों हैं
निराला रंग सतगुरु का
जो रंग गया ज्ञान के रंग में
दीवाना है वह सतगुरु का।

चढ़ा सारंग मीरा पर
असर विष का न हो पाया
बदल गया विष भी रंग अपना
अमृत के रूप में आया।
कटारी ज्ञान की लेकर
अंधेरा चीर दे मन का

जगत में रंग अनेकों हैं
निराला रंग सतगुरु का।
जो रंग गया ज्ञान के रंग में
दीवाना है वह सतगुरु का।

चढ़ा रविदास पर यह रंग था
बड़ा था उनका मन चंगा।
कठौती थी वह चमड़े की
प्रकट हुई थी उसमें गंगा।
हजारों तीरथ है घट में
हटा अज्ञान का पर्दा।

जगत में रंग अनेकों हैं
निराला रंग सतगुरु का।
जो रंग गया ज्ञान के रंग में
दीवाना है वह सतगुरु का।

चढ़ा था रंग कबीरा पर
जगत में ज्ञान फैलाया।
अंधेरा हट गया पल में
उजाला ज्ञान का छाया।
जो अंधा हो गया जग में
ज्ञान पट खोल दे उनका

जगत में रंग अनेकों हैं
निराला रंग सतगुरु का।
जो रंग गया ज्ञान के रंग में
दीवाना है वह सतगुरु का।

धर्मवीर को मिले गुरुवर
ज्ञान की महिमा जानी है।
कृपा उनकी है यह मुझ पर
मेरे सतगुरु जो दानी है।

जगत में रंग अनेकों है
निराला रंग सतगुरु का।
जो रंग गया ज्ञान के रंग में
दीवाना है वह सतगुरु का।