कौन अच्छा है

अब कौन अच्छा है,
और अब कौन ख़राब है,
अब पहचान हो कैसे
सबके चेहरे पे नक़ाब है।

हम नादां आंख बंद करके
भरोसा करते है,
चमन में क्या पता,
कौन खार, कौन गुलाब है।

अच्छाई बुराई सारी
बंद मन की तिज़ोरी में,
दुनिया में हाय किसका चेहरा
खुली किताब है।

अपना समझो जिसे
वो ही गैर निकलता है,
क्या कीजे अपनी किस्मत का
खाना खराब है।

कितना संभल कर चले
राहों में ‘ मानसी ‘
कदम कदम पे तो
रवां कयामत है, अजाब है।