अदाकारी

झूठ को सच बनाने की हमें
कलाकारी आती नहीं,
जैसे है वैसे ही है हम,
हमें अदाकारी आती नहीं।
दिल क्या जां भी कर दिए यार पे कुर्बान,
फिर भी तो कहते हैं लोग,
हमें यारी आती नहीं।
आधे रास्ते पे छोड़ दे अब दामन ए यार,
माफ़ करना हमे इश्क़ में ऐसी मक्कारी आती नहीं।
दिल के बदले करते है दिल का ही सौदा,
इसके सिवा हमें और कोई, दुनियादारी आती नहीं।
प्यार, वफ़ा, इश्क़ सब कुछ है, शहर में,
बस इसे पाने की अपनी ही कभी बारी आती नहीं।
साफ साफ कहते है जो दिल में आता है,
‘मानसी’ ज़माने की तरह
हमें तो बातें भारी भारी आती नहीं।