शम्भु स्तुति

जय शिव त्रिपुरारी,
जय भाल चंद्र धारी,
जय भुजंग पति हारी,
प्रभु हमें ना विसारिये ।
शरण तोहार आए,
बोलो अब कहाँ जाएं,
हम दीन दुखियारी,
कष्ट होत बड़ी भारी,
कष्टन को काट,
प्रभु हमको उबारिये ।।

जय शूलपाणी,
जय जय जटाधारी,
जय मृग चर्म धारी,
प्रभु हृदय विराजिये ।
हम जड़ मति हीन,
काम क्रोध मद लीन,
जप तप से विहीन,
छल बल में प्रवीण,
मेरी खलुता मिटाय,
प्रभु सद् गति दीजिये ।।

जय चिता भस्म रागी,
जय जय वैरागी,
जय हरि अनुरागी,
हर!सब काज साजिए,
जय कैलाशी,
जय जय अविनाशी,
जय काशी पुरी वासी,
जय जय सुखराशि,
चरणों में राखी प्रभु,
मोह पाश काटिये ।।

जय त्रिलोचन,
जय मृत्यु मोचन,
दुःख शोक हरण,
कष्ट मिटाय,
मोहे सुख धाम दीजिये ।
शोहे जटा चंद्र भाल,
जय जय महाकाल,
जय काल ते कराल,
रौद्र रूप विकराल
मेरी कुबुद्धि को टारि,
प्रभु आज हमें तारिये ।।

जय अभयंकर,
जय जय शिव शंकर,
जय गिरिजा पति दीन दयाल,
तिलक त्रिपुण्ड सुशोभित भाल,
गले रुद्र माल,
प्रभु रुद्र रुप धारी,
शोक कष्ट नाश,
मोहे कीजिए सुखारी ।
उर को सुदिप्त कर,
मोहि आपही में लिप्त कर,
जड़ मति दूर कर,
दंभ चूर चूर कर,
ज्ञान वान कर हमें,
भक्ति ज्ञान दीजिये ।।