सैनिक की चिट्ठी

है देश हमें प्राणों से प्यारा,
जां इसे समर्पित करना है।
अपना तन-मन धन जीवन,
सब इसको अर्पित करना है।
मौका आता है जब जब,
हम अपनी जान लुटाते हैं,
हैं रखवाले भारत मां के,
हम अपना शीश कटाते है।

बस यही अनुग्रह है तुमसे,
तुम मान हमारा यूं रखना।
अश्रु ना आए चक्षु में,
स्मरण रहे यह बात सदा।

निज देश पर जान लुटाने का,
सौभाग्य न सबको मिलता है।
धन्य हो जाता है घर आंगन,
जिस घर में सैनिक पलता है।

कल इसी जगह कल इसी शाम,
दुश्मन को धूल चटाएंगे।
अपने साथी का बदला लेकर,
दुश्मन की चिता सजाएंगे।
व्यर्थ ना हो वलिदान हमारी,
यही हमारी इच्छा है।
हंसते हंसते जान लुटा दें,
अपने पुरखों की शिक्षा है।