खींच लो अब तलवार सैनिकों

खींच लो अब तलवार सैनिकों,
अब ना धैर्य सम्भाला जाय।
अरि मुंडों से पाट दो धरती,
दृष्टि दूर जहाँ तक जाय ।

इस गद्दार पड़ोसी को अब,
कब तक और सम्भाला जाय ।
खींच लो अब तलवार सैनिकों,
अब ना धैर्य सम्भाला जाय ।।

शांति वाद के दुश्मन हैं सब,
अब रौद्र रूप दिखलाया जाय ।
देख लिया अब बुद्ध रूप को,
कब तक युद्ध को टाला जाय।
हो राणा, शिवा के वीर संतति,
वलिदान ना व्यर्थ तुम्हारा जाय ।

सीमा रेखा की मर्यादा भूल,
अब घर में घुस कर मारा जाय ।
खींच लो अब तलवार सैनिकों,
अब ना धैर्य सम्भाला जाय ।।

तुम लड़ो सीमा रेखा पर,
हम सब लड़ें बाजारों में ।
कमर तोड़ कर चीन का अब,
चुकता हो मूल्य गद्दारों का ।
छप छप काटो रक्त से पाटो,
शत्रु शोणित से बुझ जाय,
प्यास तुम्हारे तलवारों का ।

सबक सिखा दो चीन को अब,
चुकता हो मूल्य गद्दारों का ।

शौर्य दिखा दो अब घाटी में,
आग है कितनी तेरी छाती में।
दुश्मन दल में हाहाकार हो,
दुश्मन देख तुझे थर्राय।
लद्दाखी घाटी में फिर से,
तेरा शौर्य सुमन खिल जाय।
करांची से बीजिंग शहर तक,
इंच इंच भारत में मिल जाय ।
खींच लो अब तलवार सैनिकों,
अब ना धैर्य सम्भाला जाय ।।