खास हूँ मै! कंचन वार्ष्णेय ऐ हवा, कभी तो मेरे दर से गुजरदेख कितनी उदास हूं मैंसंग तेरे मिल जाने को कितनीखास हूँ मै!ऐ बहार कभी तो इधर भी रुख़ करदेख तेरे इंतजार को हूँ मैसंग तेरे मिल जाने को कितनीखास हूँ मै!ऐ चांद अपनी चांदनी की ठंडक इधर भी करगर्म तपते जिस्म को लेकर इंतजार को हूँ मैसंग तेरे मिल जाने को कितनीखास हूँ मै!ऐ चिराग मेरे दिल में भी रोशनी करदेख अंधेरा दूर होने के इंतजार में हूँ मैआ मेरे पास थोड़ी देरसंग तेरे मिल जाने को कितनीखास हूँ मै!