तुम जोड़ना सीखो कंचन वार्ष्णेय तोड़ते तो सब हैंतुम जोड़ना सीखो।मानवता वहीजो दिलों को जोड़ेबिखेरते तो सब हैंतुम समेटना सीखो।श्रेष्ठ खुद को माननाश्रेष्ठ होता नहींकटाक्ष करे जोवो कवि होता नहीकाटते तो सब हैंतुम मिलाना सीखो।मैं को अपने अंदररख कर तुम प्रबुद्ध नहीउस मैं के अहम सेतुम निकलना सीखो।मधुर बनो,कोमल बनोसमय की मांग के अनुरूपमन को मिलाकरतुम ढलना सीखो।तुम सुवासित पुष्प कीकी भांति खिलखिलानाऔर मुस्करा करसुगंधित हो,मधुमास करना सीखो।तोड़ते तो सब हैंतुम जोड़ना सीखो।तुम जोड़ना सीखो।