मूक पशु की वेदना समझे कोई ना मौन रहकर ही वो सहते प्रताड़ना।
जाड़ों में ठिठुरते हुए बदन से लरजते हुए कोई न समझे इनकी वेदना होते हैं ये प्यार के भूखे इंसानों से होते अधिक सच्चे न इनमें ईर्ष्या, न इनमें बैर वफादारी निभाते उससे जो दे देता उनको दूध या ब्रेड आप भी दुलार कर देखो लेंगे ये फिर आपकी खबर और खैर।