आज के दिन

जैसे जिन्दगी बिक गई थी मेरी
सब कुछ खत्म सा हो गया था
मातम सा छा जाता था
पर एक बार इस दिन
तुम आए थे, मुझे ले गए थे,
कुछ सपने दिखाए थे
अनजान से रास्ते थे,
तुम उड़ा कर साथ अपने
न जाने क्यों
मुझे ले गए थे,
अब न तुम हो,
ना सपने हैं,
अब फिर से वो ही सूना पन है,
तेरी उम्मीद पे हम अब,
जिंदा ही कब हैं !
रूठी हुई तकदीर बदल
जाती होगी किसी किसी की,
हम तो ऊपर से हंसते हैं,
अंदर से खाली पन है
वादा करके भी तुम
रहे बेगाने से,
क्यों आए थे
करीब तुम इतने??
जब देना ही नहीं था साथ,
क्यों तुम आज के दिन
उड़ा कर ले गए थे साथ?