हम जैसे लोग

कुछ जयचंद पहले भी थे
चंद सिक्कों में बिक जाते थे
कुछ जयचंद आज भी हैं
फ्री के चक्कर में ज़मीर बेच देते
देश पहले भी हारा था इनसे
देश आज भी आहत है इनसे
धर्म के विरूद्ध होते हैं ये
इसी एकता के अभाव में
रोटियां सेंकते कुछ लोग
वाह री किस्मत जिसने
दुनिया में नाम चमकाया
हमारे देश को गौरव दिलवाया
जयचंद से कलंकित हुआ मुल्क
मेरा मेरा करके ले जाएगा
कोई और
खड़े तमाशा देख रहे हम जैसे लोग…….
हम जैसे लोग…..।