तेरा जिन्दगी में होना

तेरा जिन्दगी में होना
फिर भी मेरा उदासीन होना
तू है लेकिन
जिन्दगी में फिर भी दर्द का होना
तू होकर भी तू नही कहीं
तूने आज भी नही समझा अपना
तू शामिल जिन्दगी में
फिर भी मेरा उदासीन होना।
दर्द में तू, हम दर्द भी तू
फिर भी मेरा गमगीन होना
न जाने कैसी उलझन है
यूं जिंदगी कश्मकश में होना
उदगार लिख कर ऐ “कंचन”
अपने आप में फिर मस्त होना।