आषाढ़ के बादल

अब वो पहले जैसी बात कहाँ !
मेघों का वो गर्जन ,
पहले सी बरसात कहाँ !
अब वो पहले जैसी बात कहाँ !!

उमड़ते वो मेघ
वो काली बदरी,
सतरंगी आसमां कहाँ !
अब वो पहले जैसी बात कहाँ !!

इंद्र धनुष के वो खूबसूरत रंग,
देखने को करता है मन,
पर वो खूबसूरत रंगो से सजा
सतरंगी आसमां कहाँ !
अब वो पहले जैसी बात कहाँ !!

सूखी धरती सूखे लोग,
वो पहले जैसी मुस्कान कहाँ !
मुझे चाहिए वो पहले जैसी धरती,
पहले जैसा खुला आसमां,
अब नहीं है कहीं वो सब
पहली सी बरसात कहाँ !
अब वो पहले जैसी बात कहाँ !!