मुलाक़ात होने दो मोहम्मद शहरयार सांसों-सांसों में बात होने दोखुल के अब मुलाक़ात होने दो।कौन अंजाम की करे परवाहइश्क की वारदात होने दो।टूट जाओ हमारी बाहों मेंदिलनशीं सी हयात होने दो।जाने-जाने की रट लगाओ नाशाम होने दो रात होने दो।‘शहरयार’ इतनी बेक़रारी क्योंथोडा सा एहतेयात होने दो।