ऐसे भी गवाह देखे मोहम्मद शहरयार देखने वालों ने यूं कई जहां-पनाह देखेमगर एक मां गरीब बेटे में शहंशाह देखे।नेक लोगों ने मेरी नेकियों के चर्चे किएजो गुनहगार थे, उन्होने ने मेरे गुनाह देखे।सभी ने कांपते लबों का तबस्सुम देखाकोई ऐसा न मिला जो दिलों की आह देखे।तेरे सजदों में तड़प किसलिए है क्या मालूमया दुनिया के या रब के लिए, अल्लाह देखे।कभी ये दिल मेरा अजीब सी ज़िद करता हैकि, कोई इंतज़ार करे मेरा कोई राह देखे।नियत हो बा-वजू इसकी किसी को फिक्र नहींकोई कुल्लियाँ गिने, कोई सर का मसाह देखे।जान दे दी मगर ईमान न दिया ‘शहरयार’हम ने अदालतों में ऐसे भी गवाह देखे।